2 Chronicles 30
1 राजा हिजकियाह ने इस्राएल तथा यहूदा प्रदेशों के निवासियों के पास सन्देश-वाहक भेजे। उसने एफ्रइम तथा मनश्शे गोत्र के क्षेत्रों में रहनेवाले अपने जाति-बन्धुओं को भी पत्र लिखे कि वे इस्राएली राष्ट्र के प्रभु परमेश्वर के लिए पास्का का पर्व मनाने के उद्देश्य से यरूशलेम नगर में स्थित प्रभु-भवन में आएं;
2 क्योंकि राजा ने, उच्चाधिकारियों तथा यरूशलेम की धर्मसभा ने, परस्पर परामर्श के पश्चात् यह निश्चय किया है कि पास्का का पर्व वर्ष के दूसरे महीने में मनाया जाए।
3 इससे पहले इस्राएली राष्ट्र के लोग पास्का का पर्व नहीं मना सके थे; क्योंकि पुरोहितों ने पर्याप्त संख्या में स्वयं को शुद्ध नहीं किया था, और न इस्राएली लोग यरूशलेम में एकत्र हो सके थे।
4 राजा हिजकियाह और यरूशलेम की धर्मसभा को यह योजना पसन्द आई।
5 अत: उन्होंने समस्त इस्राएल देश में−बएरशेबा से दान नगर तक−यह राजाज्ञा घोषित की कि समस्त इस्राएली समाज यरूशलेम में आए, और सब लोग इस्राएली राष्ट्र के प्रभु परमेश्वर के लिए पास्का का पर्व मनाएँ; क्योंकि उन्होंने धर्म-व्यवस्था के अनुसार विशाल संख्या में उसको नहीं मनाया था।
6 अत: सन्देशवाहक राजा हिजकियाह तथा उसके उच्चाधिकारियों के पत्र लेकर समस्त इस्राएल और यहूदा प्रदेशों में गए। राजा हिजकियाह ने पत्र में यह लिखा था: ‘ओ इस्राएली राष्ट्र के लोगो, तुम जो असीरिया देश के राजाओं के हाथ से बच गए हो, अपने पूर्वजों, अब्राहम, इसहाक और इस्राएल के प्रभु परमेश्वर के पास लौटो, ताकि वह तुम्हारी ओर पुन: लौटे।
7 तुम्हारे पूर्वजों और जाति भाई-बन्धुओं ने अपने प्रभु परमेश्वर के प्रति विश्वासघात किया था। तुम उनके समान आचरण मत करो अन्यथा, जैसा तुम देख रहे हो, कि उसने उनको उजाड़ दिया था, वैसा वह तुम्हें भी उजाड़ देगा।
8 तुम्हारे पूर्वज ऐंठी गरदनवाले लोग थे। तुम उनके समान हठीले मत बनो; किन्तु अपने प्रभु परमेश्वर के सम्मुख विनम्र बनो; और उसके पवित्र स्थान में आओ, जिसको उसने सदा-सर्वदा के लिए पवित्र किया है। अपने प्रभु परमेश्वर की आराधना और सेवा करो, ताकि उसकी क्रोधाग्नि तुमसे दूर हो जाए।
9 ‘यदि तुम प्रभु की ओर लौटोगे तो जिन्होंने तुम्हारे भाई-बन्धुओं और तुम्हारी सन्तान को गुलाम बनाया है, उनके हृदय को प्रभु करुणामय बनाएगा, और वे उन पर दया करेंगे। वे उनको स्वतन्त्र कर देंगे, और तुम्हारे भाई-बन्धु तथा तुम्हारी सन्तान इस देश को लौट आएगी। तुम्हारा प्रभु परमेश्वर कृपालु और करुणामय है। यदि तुम उसकी ओर उन्मुख होगे तो वह तुमसे कभी विमुख नहीं होगा।’
10 अत: सन्देशवाहक एफ्रइम तथा मनश्शे के एक नगर से दूसरे नगर में पत्र देते हुए जबूलून के भूमि-क्षेत्र तक गए। किन्तु वहां के इस्राएली लोगों ने उनका मजाक उड़ाया; उनकी हंसी की। उनकी बातों को हंसी में उड़ा दिया।
11 केवल आशेर, मनश्शे और जबूलून के कुछ लोगों ने अपने हृदय को विनम्र किया और वे प्रभु के सम्मुख यरूशलेम में आए।
12 यहूदा प्रदेश में भी परमेश्वर ने अपना सामर्थ्य प्रकट किया और निवासियों को एकमत किया कि वे राजा हिजकियाह और उसके उच्चाधिकारियों की राजाज्ञा को मानें, जो उन्होंने प्रभु की वाणी के अनुसार दी थी।
13 वर्ष के दूसरे महीने में, बेखमीर रोटी का पर्व मनाने के लिए अधिक संख्या में लोग यरूशलेम में आए। इस प्रकार यरूशलेम में आराधकों की एक अत्यन्त विशाल धर्मसभा एकत्र हो गई।
14 लोगों ने यरूशलेम नगर के मोड़ों और चौकों पर स्थापित अन्य देवताओं की वेदियों को हटा दिया। जो वेदियां सुगन्धित धूप-बलि जलाने के लिए स्थापित की गई थीं, उनको किद्रोन की घाटी में फेंक दिया।
15 उन्होंने दूसरे महीने की चौदहवीं तारीख को पास्का-पर्व के मेमने का वध किया। यह देख कर पुरोहित और उप-पुरोहित लज्जित हुए। उन्होंने स्वयं को शुद्ध किया, और प्रभु के भवन में अग्नि-बलि चढ़ाई।
16 तत्पश्चात् वे परमेश्वर के जन मूसा की व्यवस्था के अनुसार अपने-अपने नियत स्थान पर खड़े हो गए। पुरोहितों ने उप-पुरोहितों के हाथ से रक्त लिया, और उसको छिड़का।
17 आराधकों की सभा में ऐसे बहुत लोग थे जिन्होंने स्वयं को शुद्ध नहीं किया था। अत: अशुद्ध लोगों की ओर से उप-पुरोहितों ने पास्का का मेमना वध किया और उसका मांस प्रभु को चढ़ा कर पवित्र किया।
18 विशाल जन-समूह में एफ्रइम, मनश्शे, इस्साकार और जबूलून के क्षेत्रों के बहुत लोग थे, जिन्होंने अपने को शुद्ध नहीं किया था। धर्म-व्यवस्था के निषेध करने पर भी उन्होंने अशुद्ध दशा में पास्का के मेमने का मांस खाया। राजा हिजकियाह ने उनकी क्षमा के लिए प्रभु से इन शब्दों में प्रार्थना की: ‘प्रभु भला है, वह उस व्यक्ति के अपराध क्षमा करे
19 जो अपने पुर्वजों के प्रभु परमेश्वर को खोजने में मन लगाता है, चाहे वह पवित्र-स्थान की धर्मविधि के अनुसार अशुद्ध क्यों न हो।’
20 प्रभु ने राजा हिजकियाह की प्रार्थना सुनी, और सब लोगों को स्वस्थ कर दिया।
21 इस्राएली राष्ट्र के लोगों ने जो यरूशलेम में उपस्थित थे, बड़े आनन्द-उत्साह के साथ सात दिन तक बेखमीर रोटी का पर्व मनाया। उप-पुरोहित तथा पुरोहित प्रतिदिन प्रभु की स्तुति गाते थे। वे जोर-शोर से प्रभु का स्तुति-गान करते थे।
22 उप-पुरोहित प्रभु की आराधना के समय कुशलतापूर्वक वाद्य-यन्त्र बजाते थे। अत: राजा हिजकियाह ने उनको प्रोत्साहन के शब्द कहे। सब लोग सात दिन तक पर्व-भोज खाते रहे। उन्होंने सहभागिता-बलि के पशु का वध किया, और अपने पूर्वजों के प्रभु परमेश्वर को धन्यवाद दिया।
23 सात दिन की समाप्ति पर आराधकों की धर्मसभा ने परस्पर विचार-विमर्श कर यह निश्चय किया कि पर्व सात दिन और मनाया जाए। अत: उन लोगों ने और सात दिन तक आनन्द-उल्लास से पर्व मनाया।
24 यहूदा प्रदेश के राजा हिजकियाह ने बलि चढ़ाने के लिए धर्मसभा को एक हजार बछड़े और सात हजार भेड़ें दी थीं। उसके उच्चाधिकारियों ने धर्मसभा को एक हजार बछड़े और दस हजार भेड़ें दी थीं। बहुत बड़ी संख्या में पुरोहितों ने स्वयं को शुद्ध किया।
25 इस प्रकार समस्त धर्मसभा ने, यहूदा प्रदेश के आराधकों ने, पुरोहितों और उप-पुरोहितों ने, इस्राएल प्रदेश से आए आराधकों ने तथा उनके साथ आए विदेशियों ने और यहूदा प्रदेश में रहनेवाले विदेशियों ने आनन्द मनाया।
26 यरूशलेम में चारों ओर हर्ष ही हर्ष था। इस्राएल देश के राजा दाऊद के पुत्र सुलेमान के समय के बाद ऐसा आनन्द यरूशलेम में कभी नहीं मनाया गया था।
27 अन्त में पुरोहित और उप-पुरोहित उठे, और उन्होंने सब लोगों को आशिष दी। उनके आशिष के वचन तथा उनकी प्रार्थना को प्रभु परमेश्वर ने स्वर्ग में अपने पवित्र निवास-स्थान से सुना।